रामलला की मूर्ति की ऊंचाई-चौड़ाई से लेकर वजन तक जानें 7 अनसुनी विशेषताएं | श्यामल रंग, हाथ में तीर व धनुष! वजन जानकर हो जाएंगे हैरान - GyAAnigk
अयोध्या में रामलला के स्वागत की तैयारी जोरों पर है। पूरी नगरी को त्रेता युग की तरह सजाया गया है। ऐसा लग रहा है जैसे रामलला अपने घर वापस आ रहे हैं।
22 जनवरी को रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। इस दिन को पूरे देश में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाएगा।
यह दिन 500 साल के लंबे संघर्ष के बाद रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने का दिन है।
तो चलिए दोस्तों, आज हम बात करेंगे नए रामलाल मूर्ति की विशेषताओं के बारे में।
रामलला की नई मूर्ति की विशेषताएं
- मूर्ति काले पत्थर से बनी है, जिसकी शैली दक्षिण भारतीय है।
- मूर्ति में रामलला की मनोहर मुस्कान दिखाई पड़ रही है।
- ये श्याम वर्ण की खड़ी मूर्ति है, बाल स्वरूप रामलला के हाथों में धनुष है।
- ये अचल मूर्ति होगी।
- आस्था और आध्यात्म की झलक इस मूर्ति से झलकती है।
- रामलला की मूर्ति श्यामल रंग के पत्थर से बनी है।
- यह मूर्ति पांच वर्ष के बाल रूप में है।
- पत्थर की आयु हजारों साल है और यह जल रोधी है।
- मूर्ति खड़ी मुद्रा में है और कमल पर खड़ी है।
- रामलला के हाथ में तीर-धनुष है।
- मूर्ति का वजन 1500 किलो है।
- मूर्ति पर चंदन, रोली आदि लगाने से इसका रंग नहीं बदलेगा।
- भगवान को कमल पर खड़े पांच साल के बच्चे के रूप में चित्रित किया है।
रामलला की मूर्ति पर परदा
- प्राण प्रतिष्ठा से पहले भगवान की मूर्तियों में चेहरे पर परदा रखने की प्राचीन धार्मिक परंपरा है।
- धार्मिक मान्यता है कि भगवान और भक्त का संवाद आंखों से होता है।
- प्राण प्रतिष्ठा से पहले अगर भक्ति-भाव से भरा हुआ कोई भक्त भगवान की आंख में देर तक देख ले तो वह प्रेम के वशीभूत होकर भक्त के साथ चले जाते हैं।
रामलला को आइना दिखाया जाएगा
- शास्त्रों के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में भगवान शक्ति स्वरूप प्रकाश पुंज के रूप में प्रवेश करते हैं।
- प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब भगवान के नेत्र खोले जाते हैं तो उनकी आंखों से असीम शक्ति वाला यह तेज बाहर निकलता है।
- यही कारण है कि सबसे पहले भगवान को दर्पण दिखाया जाता है।
मुझे उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट पढ़कर रामलाल के नए मूर्ति के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी।
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